Suvichar sanskar suvichar - सुविचार संस्कार सुविचार
लोगो को भरपूर सम्मान दीजिए,
इसलिए नहीं की उनका अधिकार है
बल्कि इसलिए की आपमें संस्कार है।
दो बातो की गिनती करना
बंद कर दीजिये
खुद का दुःख और दुसरो का सुख
Suvichar sanskar suvichar - सुविचार संस्कार सुविचार
रिश्तों का स्वाद हर रोज बदलता रहता है
मीठा, नमकीन या खारा !
बस ये इस बात पर निर्भर करता है
की हम प्रतिदिन अपने रिश्ते में
मिला क्या रहे हैं ?
प्रेम की डोर दिखती तो नहीं हैं
पर मजबूत इतनी होती है
की वह परमात्मा को भी बाँध सकती है।
जो सम्मान से कभी गर्वित नहीं होते
अपमान से क्रोधित नहीं होते
और क्रोधित होकर भी जो कभी
कठोर नहीं बोलते
वास्तव में वे ही "श्रेष्ठ" होते है।
Suvichar sanskar suvichar - सुविचार संस्कार सुविचार
पुरे ब्रम्हांड में जुबान ही ऐसी चीज है
जहां पर जहर और अमृत
एक साथ रहते है।
भक्ति हमे सम्पत्ति तो नहीं देती
पर प्रसन्नता जरूर देती है।
प्रसन्नता से बढ़कर कोई स्वर्ग नहीं
और निराशा से बढ़कर
दूसरा कोई नर्क भी नहीं है।
जीवन में की हुई भलाई कभी व्यर्थ
नहीं जाती। वो कब किस रूप में
लौट कर आएगी, ईश्वर ही जानता है।
Suvichar sanskar suvichar - सुविचार संस्कार सुविचार
सृष्टि कितनी भी बदल जाए फिर भी हम
सुखी नहीं हो सकते जबकि दृष्टि जरा सी
बदल जाये तो हम सुखी हो सकते है।
फूलो में भी कीड़े पाए जाते है
और पत्थरों में भी हिरे पाए जाते है
बुराई को छोड़कर अच्छाई देखिए तो सभी
नर में भी नारायण पाए जाते है।
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