स्वामी विवेकानंद ( कहानियाँ )लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना :-
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एक बार जब स्वामी विवेकानंद जी अपने आश्रम में सो रहे थे, तभी एक दुखी व्यक्ति उनके पास आया। आते ही वह स्वामी विवेकानंद जी के चरणों पर गिर पड़ा और बोला स्वामी जी मै हर काम को खूब मन लगाकर करता हूँ, खूब मेहनत करता हूँ फिर भी आज तक मै सफल व्यक्ति नहीं बन पाया। मै सफल व्यक्ति बनना चाहता हूँ।
उस व्यक्ति की बात सुनकर स्वामी विवेकानंद जी ने कहा ठीक है, आप जाओ मेरे पालतू कुत्ते को थोड़ी देर तक घुमाकर लाओ तब तक मै तुम्हारी समस्या का समाधान ढूंढ़ता हूँ। स्वामी जी के ऐसा कहते ही वह व्यक्ति कुत्ते को घूमाने ले गया। और वह कुछ समय पश्चात कुत्ते को घुमाकर ले आया। स्वामी विवेकानंद जी ने उस व्यक्ति से पूछा की कुत्ता इतना हाँफ क्यों रहा है। जबकि तुम तो थोड़ा सा भी थके हुए नहीं हो। ऐसा क्यों?
तब उस व्यक्ति ने कहा - स्वामी जी मै तो सीधा चल रहा था परन्तु यह कुत्ता पुरे रास्ते भर इधर-उधर होता रहा ,किसी भी चीज को देखता तो वह उधर ही दौड़ जाता ऐसा चलते ये पुरे रास्ते भर दौड़ता रहा, जिसके कारण यह इतना थक गया है।
इस पर मुस्कुराते हुए स्वामी विवेकानंद जी ने कहा - यही तुम्हारी समस्या का समाधान है। तुम्हारी सफलता की मंजिल तो तुम्हारे सामने ही होती है पर तुम अपने मंजिल के बजाए इधर-उधर भागते हो इसलिए तुम जीवन में कभी सफल नहीं हो पाते। स्वामी जी की यह बात सुनकर वह व्यक्ति समझ गया था की यदि सफल होना है तो लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
कहानी से प्रेरणा -
स्वामी विवेकानंद जी की इस कहानी से यह प्रेरणा ( शिक्षा ) मिलती है की हमे जो कुछ भी बनना है, जो कुछ भी पाना है, जो कुछ भी करना है। हम उस पर ध्यान ना देकर और दूसरे व्यर्थ के कार्यो पर ध्यान केंद्रित करते है। जिसके कारण हम जीवन में सफल नहीं हो पाते है।
इसलिए अगर सफल होना है, तो हमेशा अपना ध्यान अपने लक्ष्य पर ही केंद्रित करना चाहिए।
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1 Comments
Nice story...
ReplyDeleteThanks for reading...